Car Loan: हर व्यक्ति चाहता है कि वह अपने जीवन में खुद की कर जरूर खरीद ले, इसके लिए वह पैसे नहीं होने पर लोन लेकर गाड़ी खरीदना है। लोन पर गाड़ी खरीदने से पहले आपको कार लोन के बारे में सभी जानकारी होना जरूरी है। आप आसान मासिक किस्तों में भले ही गाड़ी खरीद रहे हैं लेकिन इसके लिए आपको कोई अलग-अलग प्रकार के लोन ऑफर किए जाते हैं, जिनमें आपको अलग-अलग ब्याज दर देनी होती है।
जब आप कर खरीदने हैं तो बैंक आपको कहीं अलग-अलग प्रकार के लोन ऑफर करते हैं, जिसमें प्राइवेट और गवर्नमेंट बैंक दोनों ही शामिल है। आईए जानते हैं कि आपको किस प्रकार का कर लोन लेना चाहिए।
बैंक से मिलता है दो प्रकार का कर लोन
अगर आपका कार लोन किसी प्राइवेट बैंक से है तो यहां पर आपको सामान्य तौर पर Fixed Loan का ही ऑफर दिया जाता है। अगर आप किसी सरकारी बैंक से लोन लेने जाते हैं तो आपको फ्लोटिंग लोन ही मिलता है। कुछ बैंक ऐसे भी होते हैं जहां पर आप फिक्स्ड लोन और फ्लोटिंग कर लोन दोनों ही ले सकते हैं।
भारत के कुछ प्रमुख बैंकों की बात करें तो आईडीएफसी फर्स्ट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और आईडीबीआई बैंक ऐसे होते हैं जो कार लोन कस्टमर को फ्लोटिंग और फिक्स दोनों प्रकार के लोन उपलब्ध करवाते हैं। इसी लिस्ट में अब बैंक ऑफ़ बड़ोदा भी शामिल हो गया है जो अपने ग्राहकों को दोनों प्रकार के लोन उपलब्ध करवाता है।
क्या होता है Fixed Interest Rate और Floating Interest Rate?
फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट की बात करें तो यह ऐसा लोन होता है जिसमें आपको एक निश्चित अवधि के लिए एक निश्चित ब्याज देना होता है इसमें किसी भी प्रकार का उतार चढ़ाव नहीं होता है अगर आप अपना लोन जल्दी क्लोज करते हैं तो आपको ब्याज पूरा देना होता है।
फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट की बात करें तो यहां पर प्रत्येक 3 महीने में ब्याज को संशोधित कर दिया जाता है। ऐसे में आप जितने समय तक लोन चुके हैं आपको इतने समय का ही ब्याज देना होता है। अगर आप 10 साल के लिए लोन लेते हैं और आप उसे 5 साल में ही क्लियर कर देते हैं तो आपको इतने समय का ही ब्याज देना होगा।
फिक्स्ड और फ्लोटिंग ब्याज दर में से किसी सेलेक्ट करें?
फ्लोटिंग और फिक्स्ड रेट पर लोन लेते समय अगर आप कंफ्यूज होते हैं कि कौन सा लोन आपके लिए सही है तो यहां पर हम आपको कुछ उदाहरण देकर समझ रहे हैं आपको इसे ध्यान से समझना है।
अगर आपने कार लोन एक छोटी अवधि के लिए लिया है तो इसमें आपको हर महीने एक बड़ी किस्त चुकानी होती है। ऐसे में आप जो भी किस्त चुकाते हैं इसका एक बड़ा हिस्सा आपके प्रिंसिपल अमाउंट के रीपेमेंट में जाता है। ऐसी स्थिति में अगर आप फ्लोटिंग ब्याज दर पर लोन लेते हैं तो आपके करीब 0.5 से 1% का अंतर देखने को मिलता है तो आपके कुल राशि चुकाने पर ज्यादा फर्क आपको नहीं पड़ेगा, ऐसी स्थिति में आपको फिक्स लोन लेना है।
दूसरी तरफ अगर आपने एक लंबी अवधि के लिए लोन ले रहे हैं तो शुरुआती 6 महीने में जो आप किस्त चुकाएंगे। उसमें एक बड़ा हिस्सा ब्याज के रीपेमेंट में जाता है और एक बहुत छोटा हिस्सा मूलधन का रीपेमेंट करता है। ऐसे में शुरुआती वर्ष में ही ब्याज दर अगर आप फ्लोटिंग लोन लेकर बदलाव कर देते हैं तो आपको इससे काफी फायदा हो सकता है।
इसके आधार पर हम यह समझ सकते हैं कि आपका लोन अगर छोटी अवधि के लिए है तो आपको फिक्स्ड लोन लेना है। अगर आपका लोन लंबी अवधि के लिए है तो आपको फ्लोटिंग लोन लेना है।
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