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IDV in car insurance| कार इंश्योरेंस में IDV क्या है ?

IDV in car insurance| IDV full form
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IDV Full form | IDV की full form क्या है?

IDV की Full Form Insured Declared Value है IDV कार की मैक्सिमम सम इन्स्योरेड वैल्यू होती है ये कार का वो मूल्य होता है जो कार चोरी होने या उसका टोटल लोस जैसे आगजनी या अन्य कोई घटना जिससे कार रिपेयेर करने लायक न बचने की स्थिति में इन्स्योरेस कम्पनी कस्टमर को देती है ये अधिकतम राशी होती है जो टोटल लोस की कंडिशन में बीमा कम्पनी ग्राहक को देती है IDV कार इंश्योरेंस का एक महत्वपूर्ण पार्ट होता है IDV कार के इंश्योरेंस प्रीमियम और क्लेम सेटलमेंट को भी प्रभावित करती है कार की मार्किट वैल्यू कई फैक्टर पर डिपेंड करती है जैसे कार का मॉडल, वैरिएंट , मन्युफक्च्रिंग इयर, कार की उम्र आदि जब कार ब्रांड न्यू होती है तो कार की IDV कार निर्माता निर्धारित करता है उसके बाद जैसे जैसे कार पुरानी होती जाती तो उसकी वैल्यू कम होती जाती है उसके बाद हर बार जब कार की इंश्योरेंस पालिसी खरीदते या रिन्यू कराते समय कर मालिक को कार की IDV डिक्लेयर करनी होती है IDV कार इंश्योरेंस पालिसी के प्रीमियम और क्लेम सेटलमेंट दोनों पर असर डालता है IDV तीन तरह से इफ़ेक्ट डालता है –
1. चोरी होने पर
2. टोटल डेमेज होने पर
3. आंशिक डेमेज होने पर

अगर कार की चोरी हो जाती है या कार बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाती और उसको रिपेयेर करने का खर्चा कार की कीमत से अधिक होता है तो बिमा कम्पनी वो राशी क्लेम के रूप पे करेगी जो बिमा खरीदते समय ग्राहक ने IDV के रूप में घोषित किया था लेकिन आंशिक नुकसान की इस्थिति में IDV का कोई रोल नहीं होता है तब बिमा कम्पनी रिपेयरिंग की कीमत ही क्लेम के रूप में अदा करेगी

IDV इतनी महत्वपूर्ण क्यों है इसके दो कारण है-

1. पहला जब कार चोरी हो जाती है बिमा कम्पनी जितनी IDV दर्ज है उतनी ही अधिकतम राशी क्लेम के रूप में चुकाती है
2. दूसरा कार का IDV इंश्योरेंस के प्रीमियम पर सीधा असर डालता है
जितना ज्यादा आईडीवी होगा उतना ही ज्यादा कार इंश्योरेंस का प्रीमियम होगा और जितना कम IDV होगा उतना ही कम इंश्योरेंस प्रीमियम होगा

कितना IDV चुनना चाहिए?

यदि आप सोचते हैं की कम से कम IDV चुनना चाहिए ताकि इंश्योरेस का प्रीमियम कम चुकाना पड़े तो ऐसा करना उचित नहीं है प्रीमियम कम होने पर कवरेज भी कम हो जाता है। अगर आपकी गाड़ी को एक्सिडेंट में काफी नुकसान हो जाता है तो उस स्थिति में तो उसे टोटल लॉस माना जाता है तब इंश्योरेंस कंपनी क्लेम चुकाती है तो वो राशि कार की एक्चुअल मार्केट वैल्यू से कम होगी क्योंकि पॉलिसी खरीदते समय आपने कम IDV डिक्लेयर करी है

IDV को कौन कौनसे फैक्टर प्रभावित करते हैं ?

  1. कार की एज: जितनी पुरानी कार होती है उतनी ही कम उसकी IDV होती है
  2. कार ब्रांड और मॉडल: कार बनाने वाली कंपनी का ब्रांड और मॉडल भी IDV को इंपैक्ट करता है जैसे ऑडी कार की IDV मारुति कार से ज्यादा होगी
  3. डिप्रीशीएशन रेट: जैसे जैसे कार पुरानी होती जाती है कार की IDV कम होती है
  4. लोकेशन: आपकी कार जहां रजिस्टर है वहां कि लोकेशन का इफेक्ट भी IDV पर पड़ता है। दिल्ली, मुम्बई जैसे महानगरों की लोकेशन जहां एक्सिडेंट होने का खतरा ज्यादा हो वहां IDV ज्यादा रहता है
  5. कार एसेसरीज: यदी आपकी कार में एक्स्ट्रा एसेसरीज लगी हुई है तो उनकी कॉस्ट भी डिप्रीशिएशन घटाकर IDV में शामिल होती है

ये सभी फैक्टर आपकी कार की IDV को प्रभावित करते हैं और आपके कार इंश्योरेंस प्रीमियम को भी।

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IDV कैसे कैलकुलेट होता है?

इंश्योरेंस कंपनियों कार की IDV को निर्धारित करती है इसमें सभी फैक्टर को जोड़कर डिप्रीशिएशन को घटाकर IDV निर्धारित करते हैं। यदी इसमें वो असेसरीज भी लगी हैं जो सेलिंग प्राइस में शामिल नहीं है तो उनको भी IDV में जोड़ा जाता है IDV कैलकुलेशन का फॉर्मूला निम्न प्रकार से है –

कार की IDV= कार का सेलिंग प्राइस - डिप्रीशीएशन

आजकल ऑनलाइन IDV Calculator भी उपलब्ध हैं जिनसे आप IDV निश्चित कर सकते हैं

डिप्रीशिएशन रेट कैसे कैलकुलेट किया जाता है?

डिप्रीशिएशन रेट का एक महत्वपूर्ण रूल होता है जब आप अपनी कार की IDV कैलकुलेट करते हैं।
आपकी कार का मूल्य हर साल थोड़ा कम होता जाता है इसे डिप्रीशिएशन कहते हैं अगर आपकी कार 6 महीने से कम पुरानी है तो एक्स शोरूम प्राइस से 5% कम IDV प्राइस होता है

इस प्रकार कार इंश्योरेंस में IDV बहुत महत्वपूर्ण रोल अदा करता है इसलिए कार इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते या रिन्यू करते समय सही IDV सेलेक्ट करना बहुत जरूरी होता है।

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धन्यवाद।

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